सूरज की किरणें चमचमईंगी,
हर ओर उष्ण वायु की लपटें आएंगी।
छाँव की तलाश में दौड़ेंगे सब,
पसीने की बूंदें छलकेंगी अब।
आम की खुशबू बिखर जाएगी,
गली-गली में ठंडी नींबू पानी आएगी।
तरबूज, खरबूजे संग बेल का रस,
गर्म हवाओं में देंगे ठंडक का बस।
पंछी भी छाँव में छुप जाएंगे,
दोपहर में पेड़ भी झुक जाएंगे।
नदियाँ भी जलने लगेंगी धूप में,
तपती ज़मीं चुभेगी हर रूप में।
संध्या की ठंडी पवन जो आएगी,
तन-मन में ताज़गी भर जाएगी।
सावन की आहट होगी दूर नहीं,
गर्मी भी गुज़रेगी, रहेगी नहीं!