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छूटती उंगलियाँ

छूटती उंगलियाँ

Entry Code: S11PH02

Author: Alex V S

Company: Braddock Infotech

2024 Hindi

सूनी सड़क, खामोशियाँ छाईं,

रेडियो की धुन कहीं से आई।

दो लोग चलते, बातें करते, धीरे-धीरे,

खोए से जैसे, किसी गहरे तीरे।


ज़िंदगी थी सीधी, सरल, शांत,

तुम्हारे संग आकर, हुई बे-अंत।

ये खोना, ये बेचैनी, ये डर है गहरा,

फिर भी भाता है, ये कैसा है पहरा!


तुममें खो जाने का, है मन ललचाया,

थाम लो मुझे, बन जाओ मेरा साया।

वो रात, वो चुंबन, वो एहसास तेरा,

चाहता था मैं, बस हो जाऊं तेरा।


छोड़ना चाहा तुझे, पर छूटा नहीं दामन,

सोचा ना तुझको, ये हुआ ना कभी संभव।

सपने तेरे, हर वक़्त मेरे संग,

तू है मेरे चारों ओर, जैसे कोई तरंग।


हर बार सोचा, अब और क्या होगा,

पर प्यार तेरा, और भी गहरा होगा।

अब क्या रोके हमें, मिलने से बोलो?

मैं चाहता हूँ तुम्हें, ये सच है जान लो।


पर ये बात, सिर्फ़ हम तक नहीं सीमित,

और भी हैं इसमें, कई रंग मिश्रित।


उसने हाथ थामा, होंठों से लगाया,

चुम लिया उसको, प्यार से सहलाया।

उसने भी उँगली, ठोड़ी पे फेरी,

एक पल को जैसे, जन्नत थी घेरी।


फिर उसने हाथ खींचा, पीछे हटाने को,

वो खो गई, अँधेरे में, जाने को।


सूनी सड़क, खामोशियाँ छाईं,

रेडियो की धुन, फिर कहीं से आई...

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