मोर के पंख,
स्याही से उकेरे हुए,
मुझे देख रहे थे
बिना पलक झपकाए।
मुझे लगा
जैसे वे
कुछ कहना चाहते हों।
धीरे से, मैंने उन्हें
अपने पन्नों पर रख लिया।
मैंने सोचा,
वे मेरे दिल को
चित्रित कर रहे हैं...
पर वे कभी
मेरे दिल की छवि नहीं थे।
बल्कि...
मेरी हर धड़कन
तुम्हारा नाम
फुसफुसा रही थी।
जब तुम मुझे ढूंढते हुए आई,
बारिश की बूंदों की तरह,
तुमने मेरी आत्मा को छुआ
और एक गीत बन गई।
तुम्हारी छाया में,
मैंने अपने सपने टांग दिए।
मेरी सांसों के मौन में,
तुम्हारी यादों ने हवा को भर दिया।
मेरी हर सांस के साथ,
तुम्हारा नाम मेरे साथ चलने लगा।
जब तुम
मेरी ज़िंदगी की लय में घुल गई,
मैंने देखा—
मेरा दिल
तुम्हारे नाम से लिखी
एक कविता बन गया था।
जब तुम्हारी खामोशी ने मुझे छुआ,
मैंने महसूस किया,
तुम्हारे बिना भी,
मैं तुम्हारे नाम से
जी रहा था।
तुम्हारी खामोशी ने
मेरी आत्मा को छुआ,
और मैं समझ गया—
मेरे सपने
तुम्हारे नाम से उकेरी
एक खालीपन बन गए थे।
फिर भी,
मैं तुम्हें ढूंढता हूं,
अपनी हर धड़कन में।
जैसे आंखों के किनारे
ठहरी एक आंसू की बूंद,
तुम्हारी यादें
चुपचाप खिलती हैं
मेरे भीतर।
तुम्हारी खामोशी
एक पत्थर की तरह थी,
जिसने मेरे सारे रोने
को अपनी ठंडक से तोड़ डाला।
फिर भी,
उन टूटी गूंजों से,
हर टुकड़ा फिर उठता है,
अब भी तुम्हें ढूंढता हुआ
मेरे दिल के भीतर...