बथल गया सब, समय के साथ
ज़िन्दगी ने सिखाया तैरने को
शायद इत्तेफ़ाक़ वही होता है
खभी खुद तैरना नहीं आते तो भी
इत्तेफ़ाक़ होती तैरने सिखाने की
आदत होगयी बदल जाने की
दिल तो छू जाती है अंधकार की आवाज़
रात के अंधेरे से सवेरे का एक भरोसा है,
अपने केलिए तो ज़िंदा रहो
ज़रूरी है कुछ उम्मीद के सहारा को
इंतजार करूंगी ज़िन्दगी के हर सफर में
काश एक दिन ज़रूर आवूंगी!!!
❣️❣️